कुछ और संशोधन जो शायद इस बिल को और स्वीकार्य बना सकते हैं
आज ग्रामीण क्षेत्र की भूमि व्यवस्था पूरी तरह पटवारी या लेखपाल के कब्ज़े में है ,और इस क़दर लाभ का वायस है कि अभी कुछ जगहों पर लेखपालों ने प्रमोशन लेने से इंकार कर अपने पद पर ही रहना स्वीकार्य किया,
इस दुरुभि संधि को तोड़ने के लिए सरकार भूमि संबंधी आंकड़े पहले से ही डेटा बैंक में डाल चुकी है,जो कि हर ग्राम सभा और तहसील के हिसाब से व्यवस्थित है.
गड़बड़ है नाप जोख की प्रक्रिया और चकबंदी,
जिसको कि पूरी तरह रॅंडम अलॉटमेंट द्वारा जो कि सुरक्षित सॉफ्टवेयर द्वारा भली भांति किया जा सकता है .
भूमि अधिग्रहण भी इसी सॉफ्टवेयर द्वारा आसानी से किया जा सकता है
जिस भी ग्राम सभा में जितनी भूमि सरकार को चाहिए वो उस भूमि की पूरी जरुरत को उस ग्राम सभा की पूरी उपलब्ध भूमि में से घटा कर फिर से चकबंदी द्वारा सभी भूमि मालिकों में बाँट दे और इस तरह मुआवज़ा भी हर भूमि मालिक को मिलेगा
जैसे अगर ग्राम सभा में 50000 गज भूमि अंकित है और सरकार को 15000 गज चाहिए तो बची हुई 35000 गज भूमि को पुराने शेयर के आधार पर आवंटित कर सकती है और 15000 गज का मुआवज़ा सारे ग्राम सभा के सदस्यों को दिया जा सकता है
यहाँ एक संशोधन ये भी हो सकता है कि जिस जिस व्यक्ति की भूमि अधिग्रहण में जा रही है उस से राय ली जा सकती है कि वो क्या चाहता है
अगर वो भूमि चाहता है तो उपरोक्त हिसाब से बंटवारा और अगर पैसा चाहता है तो पूरा पैसा दिया जाये ,इस तरीके में ग्राम सभा को दुबारा चकबंदी नहीं करनी होगी
अगर कुछ लोग पैसा और कुछ लोग भूमि चाहें तो वो भी इसी प्रकार व्यवस्थित हो सकता है
हाँ ये अधिग्रहण प्राइवेट बिल्डरों के लिए ना हो,उनको तो उनके द्वारा ही पैसा देकर भूमि खरीदने की अनुमति हो उसके बिना कोई प्रोजेक्ट ना बने ...
मोदीजी
विचार कीजिये